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तन्हाई में खोया, अकेला हूँ मैं | Judai Aur Tanhai Ki Dastaan | Sad Ghazal | दर्द भरी ग़ज़ल

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तुम्हारा यूं मिलना कोई इत्तेफाक ना था, अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें तन्हाई में बैठूं तो इल्ज़ाम-ए-मुहब्बत। जिंदगी में इंसान उस वक्त बहुत टूट जाता है, कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है…” शाद अज़ीमाबादी टैग https://youtu.be/Lug0ffByUck

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